चार्ल्स बैवेज जिन्हें कम्प्यूटर का पितामह कहा जाता है; ने उन्नीसवी शताब्दी में ब्रिटेन की सरकार के सामने एक विस्तृत पस्ताव पेश किया था जिसमे एक ऐसे मशीन क़ि कल्पना थी जो काफी कठिन गणनाएं आसानी से कर सकता था| प्रारंभ में ब्रिटेन क़ि सरकार ने उन्हें आर्थिक मदद दी पर जब उन्हें ऐसा लगा के तैयार होने वाला इंजन काफी महंगा होगा तो उन्होंने आगे सहायता देने से इंकार कर दिया जिससे इंग्लैंड में कम्प्यूटर क्रांति क़ि शुरुवात 1822 में नहीं हो सकी|
चार्ल्स बैवेज ने तब अपने ही धन से एक कम्प्यूटर का विकास किया जिसे DIFFERENCE ENGINE कहा जाता है| DIFFERENCE ENGINE प्रारंभ में साधारण गणनाए करता था जैसे जोड़ना, घटाना, गुना करना, भाग करना| उन गणनाओं को पूरा कर DIFFERENCE ENGINE उसे कागज पर उकेर देता था| बाद में DIFFERENCE ENGINE में काफी सरे बदलाव किये गए जिससे वह कई कठिन गणनाओं को करने लगा|
बीसवीं सदी के करीब चालीस के दशक में जितने भी कंप्यूटर का निर्माण हुआ उनके पुर्जे १९३० के काफी पहले से ही बाजार में उपलब्ध थे| परन्तु लम्बे समय तक किसी के मन में यह विचार ही नहीं आया क़ि उन टुकड़ों को जोड़कर कंप्यूटर जैसी एक मशीन का निर्माण किया ज सकता है|
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